राजस्थान के कोटा बैराज से चार दिन में 25.40 लाख क्यूसेक पानी चंबल नदी में छोड़े जाने के बाद भिंड-मुरैना में चंबल ने रौद्र रूप में आ गई है। इससे भिंड में नदी किनारे बसे 19 गांव खाली करा लिए गए हैं। वहीं श्योपुर में तीन गांवों में पानी घुसने से 4 दर्जन कच्चे मकान ढह गए।
भिंड में स्कूलों में छुट्टियां घोषित कर दी गई हैं। सरकारी कर्मचारियों की छुट्टियां निरस्त कर दी गई हैं, जिससे उन्हें राहत कार्य में लगाया जा सके। ग्वालियर-चंबल में बिगड़ते हालात के बाद बचाव और राहत कार्य के लिए हेलीकॉप्टर बुला लिया गया है, साथ ही कलेक्टर ने एनडीआरएफ और सेना की अतिरिक्त कंपनियां भी मांगीं हैं।
मुरैना में बाढ़ से 89 गांव घिरे, हेलीकाप्टर से सर्वे शुरू
मुरैना में चंबल नदी में आए उफान से बाढ में घिरे गांवों का हेलीकाप्टर से सर्वे कर वहां फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के प्रयास किए जा रहे हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हेलीकाप्टर से सर्वे कर वहां फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने प्रयास किए जा रहे हैं। चंबल संभागायुक्त रेणु तिवारी और कलेक्टर प्रियंका दास के साथ अंबा, दिमनी और सुमावली क्षेत्र के विधायक हवाई सर्वेक्षण कर रहे हैं। राहत एवं बचाव कार्य में जुटे सेना के जवान बाढ प्रभावितों को सुरक्षित निकालने का प्रयास कर रहे हैं, हालांकि कुछ लोग अपना घर छोड़ने का तैयार नहीं, जिन्हे समझाइश दी जा रही है।
कोटा बैराज से लगातार पानी छोड़े जाने के चलते मुरैना में पिछले तीन से लगातार चंबल का जलस्तर बढ़ रहा है। इसके चलते मुरैना, अंबा और दिमनी क्षेत्र के लगभग 89 गांव कल से बाढ़ के पानी से घिरे हैं तथा इनमें से 30 गांवों को कल ही खाली कराकर वहां के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया था।
भिंड चंबल की बाढ़ से पानी ही पानी
कोटा बैराज से चंबल नदी में पानी छोडे जाने का सिलसिला थमा नहीं है। पिछले तीन दिनों में 18.40 लाख क्यूसेक पानी छोडे जाने के बाद जहां अटेर क्षेत्र में 8 गांव में बाढ़ आ गई थी, वहीं सोमवार को कोटा बैराज से चंबल में एक बार फिर 7 लाख क्यूसेक पानी छोड़ दिया गया, जिससे हालात और ज्यादा भयावह हो गए हैं। चंबल में उफान आने के बाद कलेक्टर छोटे सिंह ने सभी शासकीय अधिकारी-कर्मचारियों के अवकाश निरस्त कर दिए हैं। अटेर क्षेत्र के सभी शासकीय एवं अशासकीय शिक्षण संस्थानों की छुट्टी कर दी गई है। ये छुट्टी हालात सामान्य होने तक रहेंगी।
सेना ने मोटर बोट से 75 लोगों को निकाला
श्योपुर जिले में उफनती चंबल का पानी तीन गांवों में घुस गया, जिससे लगभग चार दर्जन से भी ज्यादा कच्चे मकान टूट गए। सेना ने मोटर बोट के जरिये 75 लोगों को इन गांवों से निकाला। श्योपुर का राजस्थान के तीनों प्रमुख मार्गों से यातायात अब भी बंद है। श्योपुर में सामरसा, जेनी व तलावदा गांव में चार दर्जन से ज्यादा कच्चे मकान टूट गए।
बाढ़ से एक दर्जन गांव घिरे
कलेक्टर बसंत कुर्रे ने मंदसौर जिले के गांधीसागर बांध के अधिकारियों से हुई बातचीत के बाद बताया कि अभी राजस्थान के कोटा बैराज के रास्ते चंबल में पानी छोड़ा जाएगा, जिससे चम्बल संभाग के तीनों जिलों श्योपुर, मुरैना व भिंड में हालात सामान्य होने की संभावना नहीं है। हालांकि उन्होंने कहा कि पानी की मात्रा कम होना शुरू हो गई है। यहां एक दर्जन गांव बाढ़ से घिरे हैं, जिनकी निगरानी की जा रही है। यहां के दांतरदा की पुलिया पर पानी होने से राजस्थान को श्योपुर से जोड़ने वाला सवाई माधोपुर राष्ट्रीय राजमार्ग बंद है। श्योपुर से कोटा और श्योपुर से बारां को जाने वाले दोनों मार्ग भी पार्वती नदी बढ़ने से 9 दिन से बंद है।
भिंड में 23 साल बाद इतनी बाढ़
भिंड-चंबल नदी में खतरे के निशान से 8.49 मीटर ऊपर बह रही है। चंबल का खतरनाक स्तर 122 मीटर है जिसे चंबल ने 127.82 मीटर से ऊपर निकाल दिया है। भिंड और मुरैना में अधिकारियों ने बाढ़ से घिरे क्षेत्रों में पहुंच कर मुनादी कराई। अटेर के पूर्व विधयाक हेमंत कटारे ने जहां उन्होंने बाढ़ पीड़ित लोगों से सरकार की तरफ से हर सम्भव मदद दिलाने का आश्वासन दिया। खास बात यह है कि चंबल नदी का यह रौद्र रूप 23 साल बाद देखने को मिला है।